Friday, March 18, 2022

रामनामियों की विवशताएं ...

#anilbhatpahari 

"रामनामी समाज  की समस्याएं व विवशताएं" 

       सतनामी समाज से  विगत एक सवा सौ साल पूर्व षडयंत्रकारियों के बहकावे से अस्तित्व मान हुए  रामनामी समाज है जो कि सतनाम के जगह रामराम जपते हैं।ये रामराम को निर्गुण सतनाम जैसा ही समझते तो है परन्तु काशी से आए  राम चरित  मानस गुटका के एक प्रचारक जो बांसुरी भी बजाते थे और शिवरीनारायण मठ में रामानंदी सम्प्रदाय के सरंक्षण मे रहकर इस क्षेत्र मे राम नाम का प्रचार किए। उन्होने परसुराम भारद्वाज जी को अपने पक्ष मे किया और राम राम का  प्रचार -प्रसार करने लगे। 

     इस तरह  सतनाम पंथ का तेजी से प्रसार को कुछ हद तक इस परिक्षेत्र में  थाम सा  लिए । अधिकतर रामनामी लोग नवधा और राम चरित गायन मे उन्मत्त हो गये फलस्वरुप सत‌नामियों से वैचारिक मतभेद के चलते रामनामी सम्प्रदाय खड़ा हो गया। इनका केन्द्र शिवरीनारायण ही रहा और  कुछेक ब्लाक तक सीमित रह गये। परन्तु हिन्दूओं से सामाजिक दूरी ज्यो की त्यों नी रही, बल्कि रामनामधारी होने से दूर से पहचाने जाते और प्रताड़ित होने लगे। इस तरह इनके जीवन मे राम राम गुदवाने के बाद भी कोई बदलाव नही आया और न ही आत्मिक शांति मिली न सामाजिक लाभ मिल सका। 
   वर्तमान मे महज 200 के आसपास रामनामी गोदाए लोग है।और यह सम्प्रदाय विलुप्ति के कगार पर हैं। परन्तु राम नाम चादर ओढ़कर प्रायोजित ढ़ग से इन्हे अयोध्यापति रामचंद्र की भक्ति से जोड़कर उनके समय यानि त्रेतायुग से देखे जाने  लगे है और इस तरह इन्हे प्रचारित कर इन्हे संरक्षित करने का भी उपाय जारी हैं। इस समुदाय के कुछेक शातिर लोग केवल रामनामी चादर ओढ़कर धन और पद प्रतिष्ठा के लोभ हेतु इसके आयोजन भजन मेला को संचालित कर रहे है ।बल्कि इनमें वर्चस्व की लड़ाई हेतु अब वर्ष मे दो दो बार भजन मेला लगाने लगे हैं। 
     इन तमाम आयोजनों के बावजूद यह समाज न सतनामियों मे अंगीकृत हो पा रहे है और न ही हिन्दूओं में। शादी ब्याह में और जाति प्रमाण पत्र के लिए भी विकट समस्याओं से जुझ रहे हैं।
           सामाजिक रुप से इस सम्प्रदाय को सतनामी समाज मे समाहार  करने संबंधी अनेक दौर की  बैठकें भी इनके प्रमुख पदाधिकारियों के साथ हो चुका हैं। पर गुरुओं और उनके पदाधिकारियों की सहमति आज पर्यन्त हो नही सका हैं। एक तरह से मामला लंबित सा है पर अब चूंकि धार्मिक बंधन शिथील हो चुके है फलस्वरुप काबिल सतनामी रामनामी अब रिश्तेदारी में बंधते जा रहेहै।
       इनके आचार्य  सूरदास जी ने सार्वजनिक  घोषणा भी किए कि हमलोग जब तक जीवित है, यह मिटेगा नही, तब तक चलेगा। पर आगे यह चलेगा या नही , कुछ कह नही सकते । क्योकि लोग अब राम राम नही गुदवा रहे है लेकिन कुछ शातीर और स्वार्थी लोग रामनामी  कपड़ा पहन खेला कर रहे है उसे कैसे रोक सकते है ? क्योकि उन लोगो देश -विदेश से सहायता मिल रहे हैं।
      उनकी बातों  में सच्चाई और विवशता भी नजर आए। इस तरह की असमंजस की स्थिति विद्यमान हैं।

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