।।युति की युक्ति ।।
उनकी धारदार बोली
रोकेंगे मारकर गोली
समय बतायेगा असर
छुटेगा न कोई कसर
ये दहाड़ेगा ओ चिंधाड़ेगी
मिलेगी सत्ता साथ लड़ोगी
है तुम्हारे ही अंदर शक्ति
सूत्र एक ही युति से युक्ति
दहलेगा शत्रु का छाती
युति से करो करामाती
खेल हुआ बहुत धर्म-कर्म
समझाओ उन्हे असल मर्म
ऐन केन पाना संप्रभूता
सदियों से इनकी दासता
वाग्जाल विरासत के नाम
तोड़ बंधन करो सद्काम
महज तुम्हारे एक वोट
करेगी ऐसी जगह चोट
न रहेगा बांस न बजेगी बंशी
ये छल -छद्म की नुरा- कुश्ती
लुभावने बैन और प्रलोभन
करेंगे खरीदने के सौ जतन
बचों उनसे और रहो एकजूट
नाम कमाने के मोह से मुक्त
है तुम्हारा एक ही बड़ा प्रयोजन
भक्ति नहीं दु:ख मुक्ति का जतन
तुम्हे जगाना होगा अब जन -मन
सदियों से जिनके मन है विष्णन
युक्ति एक हो और हो नव प्रवर्तन
लेना होगा सबको साथ साथ प्रण
टूट कर तोड़ कर बिखरे कण- कण
अब तो मिलकर जुड़कर बनों बहुजन
- डा. अनिल भतपहरी